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गुरु पूर्णिमा 2023: अपने शिक्षकों का सम्मान करें Using Brands.live ऐप के रेडीमेड पोस्ट

by brandsliveblog
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गुरु पूर्णिमा 2023: Brands.live ऐप के शानदार कस्टम और रेडीमेड पोस्ट के साथ अपने शिक्षकों का सम्मान करें।

 

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यह श्लोक सिर्फ चंद शब्द नहीं यह हमें बताते हैं कि गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु और गुरु ही भगवान शंकर हैं।

ऐसे परब्रह्म को हम प्रणाम करते हैं।

 

गुरु कौन हैं???

“गुरु” ‘गु’ अर्थात ‘अंधकार’ और ‘रु’ अर्थात  ‘प्रकाश’ जो हमें ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएं, वही हमारे सच्चे गुरु है। गुरु ही अपने शिष्यों का मार्गदर्शन कर उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित करते हैं।

जैसे वायु बिना जीवन नहीं वैसे ही गुरु बिना कोई गुण नहीं। जीवन के अंधकार को दूर और सही दिशा का मार्गदर्शन केवल गुरु ही दे सकते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि “अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥” गुरु ही हमारे अज्ञान के अंधकार को दूर कर हमें ज्ञान के प्रकाश से भरते हैं।

 

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरू अपने, गोविन्द दियो बताय।।

गुरु हमारे वह सच्चे पथ प्रदर्शक हैं। जो ईश्वर द्वारा दिए गए हमारे इस जीवन को शिक्षा देकर सही ढंग से जीना सिखाते हैं। सत्य और असत्य में भेद बताते हैं। इसलिए जितना जरूरी ये जीवन है उतना ही जरूरी जीवन में गुरु का होना है।

 

गुरु पूर्णिमा का महत्व…

गुरु पूर्णिमा का यह महा उत्सव उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित एक पौराणिक परंपरा है जिसमें एक शिष्य अपने गुरु द्वारा दी गई सीख और शिक्षा के लिए उन्हें आभार व्यक्त करता है। लेकिन यह दिवस मात्र दिखावे के लिए नहीं बल्कि अपने गुरु की सीख का अनुसरण करने और उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एक अवसर भी है। जिससे आने वाली पीढ़ी शिक्षित और सही दिशा की ओर निरंतर आगे बढ़ती रहे।

 

गुरु पूर्णिमा की पौराणिक मान्यताएं…

पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा… सनातन धर्म की पहचान, आदर्श और उल्लास का प्रतीक है। आदि गुरु भगवान शंकर ने जब दक्षिणामूर्ति रूप में प्रथम बार संसार के सभी ऋषि और मुनियों को अपने शिष्य के रूप शिव ज्ञान से अवगत कराया तब से उस पवित्र दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने का आरंभ हुआ। तब से भारत, नेपाल, भूटान और अन्य देश में रहने वाले हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी इस उत्सव को एक पर्व की तरह मनाते हैं। और अपने-अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

वहीं एक और पुरानी मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास ने धरती पर जन्म लिया था। जिनका पूरा नाम महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास था। वो महाभारत ग्रंथ के रचयिता और ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। पौराणिक महाकाव्यों जैसे महाभारत, अट्ठारह पुराण, श्रीमद् भागवत के अनुसार उनका जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन लगभग 3000 ई.पू, माना जाता है।

महर्षि व्यास जन्म से ही यशस्वी और ज्ञानी थे। उनके पास दिव्य दृष्टि थी जिसके कारण वह कलयुग फैलने वाले अज्ञान के अंधकार को पहले ही देख चुके थे। कलयुग के इस अंधकार को दूर करने के लिए उन्होंने वेद का चार भागों में विभाजन किया ताकि कम बुद्धि एवं कम स्मरण शक्ति रखने वाले मनुष्य भी वेदों का अध्ययन आसानी से कर सकें। जिसका नाम यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा गया। 

वेदों के इस विभाजन के कारण ही महर्षि व्यास आगे चलकर वेदव्यास के नाम से विख्यात हुए। चारों वेदों का ज्ञान उन्होंने अपने शिष्यों पैल, जैमिनी, वैशम्पायन और सुमन्तु मुनि को दिया। वेद में लिखे ज्ञान अत्यंत गूढ़ तथा शुष्क थे इसलिए वेद व्यास ने एक पांचवें वेद का निर्माण किया जिसमें वेद के ज्ञान को रोचक कथाओं के रूप में बताया गया।

एक और मान्यता है कि बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए भी इस दिवस को मनाते हैं। उनका मानना है कि गुरु पूर्णिमा ही वह दिन है जब भगवान बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों के साथ  सारनाथ में अपना उपदेश दिया था।

सरल शब्दों में कहें तो गुरु पूर्णिमा हर उस शिक्षक के प्रति सम्मान और समर्पण का भाव है जिसने हमें जीवन के हर उतार-चढ़ाव में हमें कुछ ना कुछ सिखाया है फिर वो हमारे गुरु हो, मित्र हो या फिर हमारे माता-पिता हों।

 

गुरु पूर्णिमा पर शिक्षक को उपहार

गुरु पूर्णिमा पारंपरिक रूप से आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को है।

गुरु पूर्णिमा मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग मंदिरों या गुरुद्वारों में जाते हैं, जबकि अन्य बस अपने शिक्षकों और गुरुओं के साथ समय बिताते हैं। कई पारंपरिक अनुष्ठान भी हैं जो गुरु पूर्णिमा से जुड़े हुए हैं, जैसे प्रार्थना करना, प्रसाद चढ़ाना और उपहारों का आदान-प्रदान करना।

गुरु के ज्ञान के आगे कोई भी उपहार छोटा ही है, लेकिन सवाल यह है कि उनके प्रति सम्मान और अपना प्यार व्यक्त करने के पुराने तरीके को यूनिक कैसे बनाया जाए? आपकी इसी समस्या को दूर करने के लिए Brands.live आपके लिए गुरु पूर्णिमा पर्व पर कुछ ऐसी नायाब पोस्ट लेकर आया है जिसे आप सहज ही अपने गुरु को भेज कर उनका धन्यवाद कर सकते हैं। Brands.live के अनुकूलित टेम्पलेट्स का उपयोग करके अपने गुरु के साथ अपनी फोटो के साथ पोस्टर बना सकते हैं और उन्हें शुभकामनाएं भेज सकते हैं।

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